पूछो ना उस कागज से जिस पर हम दिल की बातें लिखते है….
वो कलम भी दीवानी हो गयी जिससे हम तुम्हारा नाम लिखते है…
ये कैसी है जिन्दगी मेरी, यहां आता कोई क्यूं नहीं..?
अकेले में ही बीत रही है, हमें कोई अपना बनाता क्यूं नहीं..?
एक नाम क्या लिखा तेरा साहिल की रेत पर,
फिर उम्र भर लहरों से मेरी दुश्मनी हो गयी।
तन्हाइयों के लम्हें अब तेरी यादों का पता पूछते हैं,
तुझे भूलने की बात करूँ तो ये तेरी खता पूछते हैं…!!
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