✨दिल को छूने वाली कहानी- भगवान आज तो भोजन दे दो✨
हम उस समय गंगा अपार्टमेंट बस स्टैंड गुड़गांव के पास रहते थे, मेरी नाईट शिफ़्ट होती है, मैं सॉफ्टवेयर प्रोफेशनल हूँ, अक्सर घर से ही अमेरिकन MNC के लिए काम करती हूँ, रात को पौने दस पर मुझे एलर्जी हो गयी और घर पर दवाई नहीं थी, ड्राईवर भी अपने घर जा चुका था और बाहर हल्की बारिश की बूंदे जुलाई महीने के कारण बरस रही थी। दवा की दुकान ज्यादा दूर नहीं थी पैदल जा सकते थे लेकिन बारिश की वज़ह से मैंने रिक्शा लेना उचित समझा। बगल में राम मन्दिर बन रहा था एक रिक्शा वाला भगवान की प्रार्थना कर रहा था। मैंने उससे पूंछा चलोगे तो उसने सहमति में सर हिलाया और हम बैठ गए। काफ़ी बीमार लग रहा था और उसकी आँखों में आँशु भी थे।
मैंने पूंछा क्या हुआ भैया रो क्यूँ रहे हो और तुम्हारी तबियत भी ठीक नहीं लग रही, उसने बताया बारिश की वजह से तीन दिन से सवारी नहीं मिली और वह भूखा है बदन दर्द कर रहा है, अभी भगवान से प्रार्थना कर रहा था क़ि मुझे आज भोजन दे दो, मेरे रिक्शे के लिए सवारी भेज दो।
मैं बिना कुछ बोले रिक्शा रोककर दवा की दूकान पर चली गयी, खड़े खड़े सोच रही थी कहीं मुझे भगवान ने तो इसकी मदद के लिए नहीं भेजा। क्योंकि यदि यही एलर्जी आधे घण्टे पहले उठती तो मैं ड्राइवर से दवा मंगाती, रात को बाहर निकलने की मुझे कोई ज़रूरत भी नहीं थी, और पानी न बरसता तो रिक्शे पर भी न बैठती। मन ही मन गुरुदेव को याद किया और कहा मुझे बताइये क्या आपने रिक्शे वाले की मदद के लिए भेजा है। मन में जवाब मिला हाँ। मैंने गुरुदेव को धन्यवाद् दिया, अपनी दवाई के साथ क्रोसीन की टेबलेट भी ली, बगल की दुकान से छोले भटूरे ख़रीदे और रिक्शे पर आकर बैठ गयी। जिस मन्दिर के पास से रिक्शा लिया था वहीँ पहुंचने पर मैंने रिक्शा रोकने को कहा।
उसके हाथ में रिक्शे के 20 रुपये दिए, गर्म छोले भटूरे दिए और दवा देकर बोली। खाना खा के ये दवा खा लेना, एक गोली आज और एक कल। मन्दिर में नीचे सो जाना।
वो रोते हुए बोला, मैंने तो भगवान से दो रोटी मांगी थी मग़र भगवान ने तो मुझे छोले भटूरे दे दिए। कई महीनों से इसे खाने की इच्छा थी। आज भगवान ने मेरी प्रार्थना सुन ली।और जो मन्दिर के पास उसका बन्दा रहता था उसको मेरी मदद के लिए भेज दिया। कई बातें वो बोलता रहा और मैं स्तब्ध हो सुनती रही।
घर आकर सोचा क़ि उस मिठाई की दुकान में बहुत सारी चीज़े थीं, मैं कुछ और भी ले सकती थी समोसा या खाने की थाली पर मैंने छोले भटूरे ही क्यों लिए? क्या भगवान ने मुझे रात को अपने भक्त की मदद के लिए भेजा था?
हम जब किसी की मदद करने सही वक्त पर पहुँचते हैं तो इसका मतलब उस व्यक्ति की भगवान ने प्रार्थना सुन ली और आपको अपना प्रतिनिधि बना, देवदूत बना उसकी मदद के लिए भेज दिया।
NOTE यह कहानी दूसरे ग्रुप का है अच्छा लगा तो सेयर कर रहा हु 🙏🏻