दो भाई थे ।
आपस में बहुत प्यार था।
खेत अलग अलग थे आजु बाजू।
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बड़ा भाई शादीशुदा था ।
छोटा अकेला ।
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एक बार खेती बहुत अच्छी हुई अनाज
बहुत हुआ ।
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खेत में काम करते करते बड़े भाई ने
बगल के खेत में छोटे भाई को
खेत देखने का कहकर खाना खाने चला गया।
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उसके जाते ही छोटा भाई सोचने लगा । खेती
तो अच्छी हुई इस बार अनाज भी बहुत
हुआ। मैं तो अकेला हूँ, बड़े भाई की तो
गृहस्थी है। मेरे लिए तो ये अनाज
जरुरत से ज्यादा है
। भैया के साथ तो भाभी बच्चे है ।
उन्हें जरुरत ज्यादा है।
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ऐसा विचारकर वह 10 बोरे अनाज
बड़े भाई के अनाज में डाल देता
है। बड़ा भाई भोजन करके आता है ।
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उसके आते ही छोटा भाई भोजन
के लिए चला जाता है।
:
भाई के जाते ही वह विचारता है ।
मेरा गृहस्थ जीवन तो अच्छे से चल रहा है…
:
भाई को तो अभी गृहस्थी जमाना है… उसे
अभी जिम्मेदारिया सम्हालना है…
मै इतने अनाज का
क्या करूँगा…
:
ऐसा विचारकर उसने 10 बोरे अनाज
छोटे भाई के खेत में डाल दिया…।
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दोनों भाईयों के मन में हर्ष था…
अनाज उतना का उतना ही था और हर्ष स्नेह
वात्सल्य बढ़ा हुआ था…।
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सोच अच्छी रखेंगें तो प्रेम
अपने आप बढेगा…<3