गुरू जी नमस्ते! पहचाना..??😐
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मैँ आपका शिष्य कल्लू बोल रहा हूँ।😆
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”अरे ! कल्लू कैसे हो तुम ?? आज इतने सालो बाद
मेरी याद कैसे आ गई ?? .😇😀😊
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…और मेरा फोन नम्बर कैसे मिल गया??”
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गुरूजी ! फोन नम्बर ढ़ुंढ़ना कौन सा मुश्किल था ?
जब प्यासे को प्यास लगती है तो जलस्रोत ढ़ुंढ़
ही लेता है। .😄😁
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…दरअसल गुरू जी हमने एक नया रोजगार शुरू
किया है। …और आपने बचपन मेँ कहा था की जब
भी कोई काम शुरू करना हमसे उदघाटन जरूर
कराना।😊😁😁
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. …तो हम अपने काम का उदघाटन आपसे
ही कराना चाहते है।😡
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”अतिसुन्दर ! वत्स। बताओ कहाँ आना है उदघाटन
के लिये हमेँ ? ”😊😆😆
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. गुरूजी ! आप पुराने खंडहर के पास चार लाख
रूपया लेके आ जाईये। ..😬😈😠
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आपका ‘छोटूवा’ हमरे कब्जे मेँ है।😂
आज से
ही ‘अपरहण’ का धंधा चालू किया तो सोचा की ‘उदघाटन’ आपके शुभ हाथो से ही हो।
😜 😜 😜 😂 😁